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आज का युवा (Aaj Ka Yuva)

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  Image Credit - Google Images (drawing | Voices of Youth ) सोच रहा हूं व्यंग्य करूं या कहदूँ आखों देखा हाल या मिलवाऊँ उनसे जो फँसाए हैं तुम्हें बना जंजाल बालक तीन हुए थे, ज़करबर्ग की "मैटा" के, चर्चे तब खूब हुए, व्हाट्सएप-फेसबुक-इंस्टा के, जैसे ही उसने सुना, तुरत सब काम काज को टाल दिया, "फोन प्रवेश" कराकर, अपने गले में पट्टा डाल लिया, जब-जब हाय लिखकर भेजा, मेसेज की भरमार हुई, रिप्लाई नहीं यदि किया समय पर, तानों की बौछार हुई, भिन्न-भिन्न ग्रुप में उसने, एडमिशन अपना करवाया, ईश्वर समान माने उनको, जगते दर्शन को ललचाया, अभी-अभी वो फुर्सत हुई थी, उपस्थिति अपनी लगवाकर, सोचा था पढ़ने बैठूँगी, सारा दिन अब घड़ी लगाकर, पर डिगाने इच्छा शक्ति को, तब संदेश एक और आया था, नील रंग के वेश में खड़े, दूजे बालक ने बुलाया था, तीनों में था प्राचीन और सबसे ज्यादा अनुभव वाला, आलस का पालनकर्ता, अदृश्य मित्र जोड़ने वाला, असलियत से कोशों दूर, नकली चेहरों का भण्डारण था  बिन रोक-टोक बुद्धि-विवेक के, मिथ्या का प्रसारण था साम्राज्य विशाल था इसका, पर बँटवारे को एक और आया गुलाबी नशे में मदहोश कि

नया साल मुबारक (Naya Saal Mubarak)

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उम्र की ऊबड़ खाबड़ राह एक और मोड़ पर लाई है पीछे यादों की गठरी है जो  अब तक की मेरी कमाई है बीत चुके इस वक्त से पूछू कैसा बँटवारा ये किया है इक पन्ना कम कर लिया है कोरा पन्ना इक दे दिया है  जो भी हो, जैसा हो मगर इस वक्त ने जीवन के कितने अनजान सख्श,  अनमोल लम्हें,  अनगिनत द्वंद्व,  अद्भुत अनुभव को मुझ पर ऐसे  जड़े हैं जैसे मैं इन सब के लिए बना था  इन सब से कोई रिश्ता घना था अब इसको कैसे बतलाऊं इतने आघातों और ठोकर खाके भी अब तक गिरा नहीं निज पर जो विश्वास किया फिर और किसी पर किया नहीं पर फिर भी कुछ साथी हैं कुछ बातें जिनसे बाकी हैं मेरी ही तरह भूले-भटके,  असमंजस में अटके - लटके हर राह में साथ चले आये गिरते उठते वो भले आये पर मुझे ना गिरने दिया कभी ना मुझे हारने दिया कभी  जब - जब मैं रोया मुझे सम्भाले जब मैं खोया मार्ग निकाले और कहें तू क्यूं डरता है व्यर्थ ही चिंता क्यूं करता है सपने, मंजिल, जिम्मेदारी, बड़ा मकान, लम्बी गाड़ी तुझे भी इक दिन मिल जायेंगे तेरे भी वो दिन आयेंगे तब तक इतनी बात समझले हर इक पल को जीले हँसले बड़ा गजब है मेरा मन भी इतनी लम्बी बातचीत में  यही बताना भूल गया ! कि नय