नया साल मुबारक (Naya Saal Mubarak)
उम्र की ऊबड़ खाबड़ राह
एक और मोड़ पर लाई है
पीछे यादों की गठरी है जो
अब तक की मेरी कमाई है
बीत चुके इस वक्त से पूछू
कैसा बँटवारा ये किया है
इक पन्ना कम कर लिया है
कोरा पन्ना इक दे दिया है
जो भी हो, जैसा हो मगर
इस वक्त ने जीवन के कितने
अनजान सख्श,
अनमोल लम्हें,
अनगिनत द्वंद्व,
अद्भुत अनुभव
को मुझ पर ऐसे
जड़े हैं जैसे
मैं इन सब के लिए बना था
इन सब से कोई रिश्ता घना था
अब इसको कैसे बतलाऊं
इतने आघातों और ठोकर खाके भी
अब तक गिरा नहीं
निज पर जो विश्वास किया फिर
और किसी पर किया नहीं
पर फिर भी कुछ साथी हैं
कुछ बातें जिनसे बाकी हैं
मेरी ही तरह भूले-भटके,
असमंजस में अटके - लटके
हर राह में साथ चले आये
गिरते उठते वो भले आये
पर मुझे ना गिरने दिया कभी
ना मुझे हारने दिया कभी
जब - जब मैं रोया मुझे सम्भाले
जब मैं खोया मार्ग निकाले
और कहें तू क्यूं डरता है
व्यर्थ ही चिंता क्यूं करता है
सपने, मंजिल, जिम्मेदारी,
बड़ा मकान, लम्बी गाड़ी
तुझे भी इक दिन मिल जायेंगे
तेरे भी वो दिन आयेंगे
तब तक इतनी बात समझले
हर इक पल को जीले हँसले
बड़ा गजब है मेरा मन भी
इतनी लम्बी बातचीत में
यही बताना भूल गया !
कि नया वर्ष आया है
तुमको याद दिलाना भूल गया ?
नये वर्ष की नयी सुबह है
जिसमें सब कुछ नया नया है
फिर भी एक पुराना रिश्ता
जिसको मैं हर रोज हूं लिखता
जाने कहाँ छुपा बैठा है
याद हूँ मैं या भूल चुका है
सकुशल रहो, जहाँ कहीं हो
अरे नहीं नहीं !, तुम मुझमें ही हो
तो सुनो, गुजारिश इतनी सी बस
तुमसे सिफारिश इतनी सी बस
बदलाव करो पर तुम ना बदलना
गाड़ी, बंगले, घर बनवाओ, 'घर' ना बदलना
जहाँ कहीं ले जाए तरक्की
झूठी सच्ची कच्ची पक्की
जीवन की इस भाग दौड़ में
सुख दुख के हर एक मोड़ में
जब भी मेरी याद आ जाए
मेरे नाम से कोई बुलाए
बस उस दिन खुद को नहीं रोकना
चल देना मेरी तलाश में
मेरा क्या है, मैं तो तब से अब तक
रुका हुआ हूं इसी आस में
ऊबड़ खाबड़ राह में चलता
रुक जाता हूं किसी मोड़ पर
कितने कोरे पन्ने लेकर
कितने लिखित पृष्ठ मोड़ कर
हर एक पृष्ठ में लिखा अन लिखा
मेरा तुम्हारा पहले जैसा
हाल मुबारक
तुम को नया साल मुबारक
फिर से नया साल मुबारक ।
- आकाश

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