हैरान हूँ तू मेरी है ! (Hairan Hun Tu Meri Hai)




हैरान हूँ ऐ जिंदगी तेरे रंग देखकर,

तू मेरी ही है या थोपा गया है तुझे मुझपर,


जो सफल हुए, कहा "मैंने खुद बनाई है"

जो चूक गए, कहने लगे  "लिखी लिखाई है"

बड़े असमंजस में पड़ गया, बातों के ये ढंग देखकर

हैरान हूँ ऐ जिंदगी तेरे रंग देखकर …


एक वक्त था जब, बिना कारण जी भर के हंसते थे

शायद बचपन था, ज़िम्मेदारियां नहीं थीं, कंधे छोटे थे

अब तो खुद पर तरस आता है, ये चेहरा बदरंग देखकर

हैरान हूँ ऐ जिंदगी तेरे रंग देखकर …


तुझे पता है यहाँ इंसान को, गुण नहीं आंकड़ों से तौलते हैं

"उनसे" थोड़ा कम हो गये, तो "गूंगे" भी उपहास में बोलते हैं

हिम्मत ही टूट जाती है, अपनो से होती ये जंग देखकर

हैरान हूँ ऐ जिंदगी तेरे रंग देखकर …


तुझसे ख्वाहिशें तो बड़ी थीं, शायद आसमान के जितनी

उम्मीद एक ही थी मगर, और ठोकरें ना जाने कितनी

वो भी टूट ही गई आखिर, लहुलुहान अंग देखकर

हैरान हूँ ऐ जिंदगी तेरे रंग देखकर …


ऐसा नहीं मैंने दोबारा कोशिश नहीं की, हिम्मत नहीं जुटाई

हर उस राह पर चला, जहाँ फिर थोड़ी सी उम्मीद नजर आयी

सब कुछ भूल पीछे दौड़ा, तेरी कटी हुई पतंग देखकर

हैरान हूँ ऐ जिंदगी तेरे रंग देखकर …


सहसा घबरा उठता हूँ, कहीं ख्वाब आने बन्द तो ना हो जाएं

उन्हें पूरा करने से पहले, कहीं वो लम्बी-गहरी नींद ना आ जाए

बहलाता हूँ खुद को, तुझसे आती जीवन तरंग देखकर

हैरान हूँ ऐ जिंदगी तेरे रंग देखकर …



     जिंदगी :      तू मुझसे हैरान है! या खुद से परेशान है! 

चल बता मैं क्या हूँ

जीत में मिला भोग हूँ, या हार में किया प्रयोग हूँ

बीते हुए का हिसाब हूँ, या भविष्य की सुनहरी किताब हूँ

टोकने वालों का अट्टहास हूँ, या आगे बढ़ने की आस हूँ

ठोकरों से गिरना हूँ, या उम्मीद का शाश्वत झरना हूँ

टूटती, बिखरती हिम्मत हूँ, या प्रयत्न से बदलती किस्मत हूँ

सहमी, घबरायी रात हूँ, या जागते, सपनों में हुई मुलाकात हूँ

जब भी ढूंढने जाता है मुझे, बता इनमें से कहाँ पाता है मुझे ?

सच कहूँ तो मन खिल जाता है, तेरे जैसे तंग विहंग देखकर

तू हैरान है मेरे रंग देखकर !


मंजिल में कभी नहीं हूँ, मैं तो पथरीली राहों में खिले फूल हूँ

गुजरे में नहीं ना आने वाले में, मैं तो आज में उड़ती धूल हूँ

"उनके" मलिन खयालों में नहीं, मैं तो तेरा मूल औ' तुझमें स्थूल हूँ

ठोकरों से जो फौलाद बना दे, मैं तो प्रकृति का वो उसूल हूँ

किस्मत की चुनी तकलीफ नहीं, मैं तो जल्दबाजी की भूल हूँ

जिनके निशां ज़हन में गहरे हैं, मैं तो वे सपने बेफिजूल हूँ

चुनी गई हूँ मैं थोपी नहीं गयी तुझपर, 

मैं जैसी हूँ क्या तुझे कबूल हूँ?


सच कहा तूने, मैं तो कभी तुझे समझ ही न पाया !

ढूँढ रहा था रंगमंच में, और तू किरदार मुझमें ही समाया !

फ़ख्र है के तू मेरी है, कहता हूँ 'आकाश' सी उमंग देखकर

मैं हैरान हूँ ऐ जिंदगी तेरे ये रंग देखकर 

मैं हैरान हूँ ऐ जिंदगी तेरे ये रंग देखकर ॥


-   आकाश 

टिप्पणियाँ

  1. Bahut hi achhi he bhai bs badi thi to kaafi time lga padhne me

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