सपने और मंज़िल (Sapne Aur Manzil)



 

तुम हो बहुत ही खास ये विश्वास करलो मेरा,

क्या सूरज को भला कभी रोक पाया है अंधेरा !


कितनी ही बाधाएं, रोकती आयी हैं, रोकेंगी,

रूढ़ीवादी समाज की हर नजरें तुम्हें टोकेंगी,


पर तुम याद रखना, बढ़ते रहना तुम्हारा लक्ष्य है,

गर खुद पर विश्वास हो, मंजिल तुम्हारे समक्ष है ,


याद करो वो वादा, जो तुमने खुद से किया था,

वो खुली आँखों का सपना, जिसने जीवन का मकसद दिया था,


 वो सपना जो आज भी देता है उम्मीद तुम्हें जीने की,

जिसकी याद से बढ़ जाती है धड़कन तुम्हारे सीने की,


वो सपना जिसे हम छुपाते हैं, बताने में कतराते हैं,

हँसी उड़ेगी? हाँ ! शायद इसी बात से घबराते हैं,


क्योंकि लोगों ने कहा- बहुत कम लोग ऐसा कर पाते हैं,

अरे पगले ! वो सिर्फ अपनी नाकामयाबी पर पछताते हैं,


क्या फर्क पड़ेगा उनको जो खुद से ही हारते आए हैं ,

वो क्या बता पाएंगे, कितनी तुम में क्षमताएं हैं,


फिर क्यों तुम थक गए, रुक गए, अभी तो ये सब शुरु हुआ है,

ये पहला पड़ाव था संघर्ष का, जिसको तुमने छुआ है


कब तक डरोगे गलतियों से, सीखना उनसे ही है,

ज़िद करो, करते रहो, जीतना खुद से ही है


जब जीत जाओगे खुद को, ज़िंदगी नए आयाम खोलेगी,

तब तुम क्या बताओगे, सफलता खुद जोर से बोलेगी,


लग जाओ अभी जी-जान से, न गवाओ वक्त व्यर्थ 'कामों ' में,

कमबख्त ! बेशकीमती है! मिलता नहीं दुकानों में,


अब बढ़ते जाओ तुम, रास्ता खुद-ब-खुद मिलेगा,

तुम्हारे कदमों की आहट से, हर द्वार खुद ही खुलेगा,


फिर भी माना तुम रास्ते की अड़चनों से बेखबर हो,

पर छोड़ो ना साथ अपना, बाधाएँ जब चरम पर हों,


मंजिल पहुंचने का रास्ता भी, बड़ा मजेदार है,

यहाँ हर एक पल, हर एक शख्स का अपना किरदार है,


एकाग्र मन से जिस दिन तुम्हारा लक्ष्य पर पहला वार होगा,

वृहद सागर सम तुम्हारी शक्ति का विस्तार होगा,


देखेगा ये जमाना वो जो रूप तुम धारण करोगे,

तब रोकेगा कौन ? जब सहर्ष तुम पथ पर बढ़ोगे,


फिर भी कोई संकोच कभी मन को तुम्हारे घेर ले,

कर पलटवार 'योग ' से उसको वहीं तू बिखेर दे,


उस स्रोत से तुम शक्ति लो जिसने तुम्हें जीवन दिया,

पूंछो उससे, कैसे तुमने रुढ़ियों का खंडन किया ?


जो भय तुम्हारा था अभी, वो ही तुम्हें निर्भय करेगा,

जिस पल उसे दूर करने का, तू दृढ़ निश्चय करेगा,


'आकाश ' की सी अनंत सम्भावनाएँ तुम्हारे अंदर हों,

पहचानो खुद को! तुम जहाँ में स्वयं से भी श्रेष्ठतर हो,


जीवन तुम्हारा या कि कहूँ तुम इसकी धरोहर हो,

जागो ! आँखें खोलो, देखो तुम अपनी 'मंजिल' पर हो ।।


- आकाश 

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